डॉक्टर चड्ïढा नश्तर लगाना चाहते थे, मगर लड़के को जड़ी पर ज्यादा भरोसा था।
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शरीर पर जब जखम हो जाता है और दवा से ठीक नहीं होता है तो नश्तर लगाना ही पड़ता है लेखक जी आप अभी भी लालू गुणगान में लगे है लगे रहिये हो सकता है लालू चालीसा लिखने वाले की तर्ज पर आपका भी कभी कल्याण हो जाये वैसे बिहार की प्रगति आप को तो नहीं दिखेगी पर भारत के लोगो के साथ अन्य देशों के प्रतिनिधि ने जो महसूस किया है उससे इंकार नहीं किया जा सकता है..
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विदॆशी बॆन्को मे जमा काला धन रुपी फॊडा पक चुका हे! उस पर नश्तर लगाना दॆश हित मे जरुरी हो गया हॆ! फोडे का तमाम मवाद कालाधन बाहर आने से दॆश का स्वास्थ बॆहतर ऒर निर्मल हो जायॆगा! आग्ला भाषा मे कहॆ तो कालॆधन की समस्या बायलिग प्वाईट पर आ गयी हे, सॆन्चुरॆशन की स्थिती हे! भ्रष्टाचार तो आजादी आते ही नेहरु काल से शुरु हो गया था! टी. टी. क्रष्णमाचारी, जीपकाण्ड, मुन्दडा काण्ड, तॆजा आदि कठहरे मॆ आ गये थे!